शीतल देवी कौन है ?
शीतल देवी का जन्म 10 जनवरी 2007 को जम्मू – कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के लोई धार गाँव में हुआ था | और वो बेहद ही गरीब परिवार से आती है | उनके पिता मजदूर थे और उनकी माँ बकरिया चराया करती थी | शीतल देवी दुनिया की पहली ऐसी महिला तीरंदाज है जिनके जन्म से हाथ नहीं है |
क्योकि जब उनका जन्म हुआ तब उनके घरवाले देखकर आश्चर्यचकित रह गये जब उन्होंने डॉक्टर से पूछा कि ऐसा क्यों है तो डॉक्टर ने बताया कि उन्हें फोकोमेलिया नामक बीमारी है, अगर ये बीमारी किसी को होती है तो इससे ग्रसित व्यक्ति का अंग माँ के गर्भ में ठीक से विकसित नहीं हो पाता है,और अगर उनकी शिक्षा की बात करे तो वह अपने गाँव लोई धार में ही पढाई हुई है |

शीतल देवी : भारतीय सेना ने हुनर को पहचाना
आइये अब बात करते है कैसे शीतल देवी बनी दुनिया की नं 1 पैरा तीरंदाज तो दरसल बात ये है की जब शीतल देवी अपने गाँव में पढाई कर रही थी उसी समय भारतीय सेना का एक दल किश्तवाड़ जिले के मुग़ल मैदान क्षेत्र में गश्त लगा रहा था उसी दौरान भारतीय सेना के एक अधिकारी की नजर एक सरकारी विद्यालय में पढ़ रही बालिका पर गयी जब उन्होंने देखा एक लड़की जिसके दोनों हाथ नहीं है और वो अपने पैरो से लिख रही और पढ़ रही है और वो बाकी बच्चो की तरह सबकुछ कर रही है इतना होने के बावजूद वो फिर भी वो पढाई को लेकर समर्पित है |
उस लड़की का इतना समपर्ण देखकर और बाकी चीजे देखकर सेना के जवानो और अधिकारियो ने उस लड़की सराहा और बाद में शीतल देवी के घरवालो से सम्पर्क किया और ये भंडारकूट स्थित सेना की 11 वी राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन थी |
शीतल देवी अपने एक दिये गये इंटरव्यू में बताती है उनका गाँव पहाड़ो पर यानी ऊंचाईयो पर था जिसकी वजह से वहा जाना उनके लिये थोडा मुश्किल हो रहा था और नजदीकी सड़क से 1 घंटे की कठिन चढ़ाई के बाद हम स्कूल पँहुच पाते थे और इस शारीरिक दुबर्लता के बावजूद वो इस कठिन चढाई पर रोजाना स्कूल आती- जाती रहती थी |
शीतल ये भी बताती है की मेरे माँ- बाप गरीब थे लेकिन उन्होंने मेरी इस शारीरिक दुर्बलता को देखकर अपने लिये बोझ नहीं समझा और वो मुझे शारीरिक कमी का अहसास नहीं होने दिया और बाद में भारतीय सेना ने मेरी पढाई का खर्चा उठाया जिसकी वजह से मेरे और मेरे परिवार की काफी हद तक की मुश्किलो का सेना सहारा बन गयी |

शीतल की माँ दुसरे लोगो की बकरिया चराया करती थी और पिता मजदूर थे इन सब से उनके परिवार का मुश्किल से गुजारा हो रहा था जिसकी वजह से उनके घर काफी दिक्क्त्ते हो रही थी और उन्हें तंगी का सामना करना पड़ता था इन सब के बावजूद शीतल के पिता ने अपनी बेटी को पढाने की ठानी और उसी स्कूल में जब शीतल पढ़ रही थी और बटालियन वहा से गुजर रही थी तभी भारतीय सेना के अधिकारी कर्नल शीशपाल सिंह ने उन्हें देखा और शीतल की जिंदगी में मसीहा वो बनकर आये और बाद में मेरी पढाई से लेकर मेरी हर जरुरतो को उस बटालियन टीम ने सहयोग किया |
उसके बाद जब लोग उसे जानने लगे तब अभिनेता अनुपम खेर ने मेरी हाथ लगाने में मदद की लेकिन वो हो नहीं पाया और उसके बाद बेंगलुरु में मेघना गिरीश और स्वयंसेवी संगठन “द बीइंग यू” की कर्ताधर्ता प्रीती राय इन्होने भी मेरी बहुत मदद की है |
शीतल देवी कैसे सीखी तीरंदाजी ?
शीतल देवी जब तीरंदाजी खेल में जाना चाहा तो ये उनके लिये इतना आसान नहीं था क्योकि शारीरिक दुर्बलता के कारण जब उनके पास हाथ ही नहीं है तो वो कैसे ये खेल खेलेगी और तीरंदाजी करेगी और तीर कैसे चलायेगी ये भी नहीं पता था इस खेल के बारे में उन्हें ज्यादा पता नहीं था |
A heart full of gratitude and love for the journey of 2024. ♥️🧿
— SheetalArcher (@ArcherSheetal) December 31, 2024
I wish you a loving 2025, filled with hope, joy, and the courage to chase your dreams, regardless of limitations. pic.twitter.com/NEhvIFuLgY
लेकिन उन्हें सिखाने के लिये की वो कैसे ये खेल सकती है और तीर चलाना सिख सकती है तो इसके लिये पहले मुझे दुनिया के सबसे पहले बिना हाथो वाले तीरंदाज अमेरिका के “मैट स्टू मैंन” का वीडियो दिखाया गया इससे मुझे काफी मदद मिली |
और इतना ही नहीं मैट भी यहाँ खेलने आये और मुझसे मिले उन्होंने मेरा धनुष देखा और इसमे कुछ बदलाव करने की सलाह भी दी, और पैरालंपिक में पदक जीते मैट ने वहा तीरंदाजी में 685 का स्कोर किया जबकि मेने 689 का स्कोर किया जिनसे सिखा उनसे भी 4 अंक ज्यादा स्कोर किया |

ये सब शीतल देवी के जज्बे, मेहनत,अर्थक प्रयास का ही नतीजा है कि घर की आर्थिक परिस्थिति और खुद की ऐसी शारीरिक दुर्बलता के कारण भी वो रुकी नहीं और आज वो इस मुकाम तक हासिल कर पाई |
शीतल देवी उपलब्धिया :-
- वर्ष 2023 में विश्व तीरंदाजी पैरा ओलंपिक चैम्पियनशीप महिला व्यक्तिगत कंपाउंड में रजत पदक में जीत हासिल करने में कामयाब हुई |
- 2023 एशियाई तीरंदाजी पैरा ओलंपिक चैम्पियनशीप महिला व्यक्तिगत कंपाउंड में स्वर्ण पदक में जीत हासिल की.
- 2023 एशियाई तीरंदाजी पैरा ओलंपिक चैम्पियनशीप मिश्रित युगल कंपाउंड में स्वर्ण पदक में जीत हासिल की |
- 2023 एशियाई तीरंदाजी पैरा ओलंपिक चैम्पियनशीप महिला युगल कंपाउंड ओपन में रजत पदक जीती |
- 2023 तीरंदाजी पैरा ओलंपिक ओपन कैटीगरी में विश्व की नंबर 1 महिला कंपाउंड तीरंदाजी बनी |
- 2023 इंडिया पैरा ओलंपिक गेम्स महिला व्यक्तिगत कंपाउंड ओपन तीरंदाजी में स्वर्ण पदक हासिल करने में सफलता हासिल की |
- 2023 में सर्वश्रेष्ठ महिला तीरंदाजी के सम्मान से घोषित किया गया.
- 9 जनवरी 2024 को में भारत की महा-महिम राष्ट्रपति ने इन्हें अर्जुन अवार्ड से सम्मानित भी किया |