डी गुकेश शतरंज के बादशाह कहलाये जाते है आज के समय में भला उन्हें कौन नहीं जानता और वो सबसे कम उम्र में शतरंज में विश्व चैंपियन के रूप में उपलब्धि हासिल की है
डी गुकेश:-
डी. गुकेश, जिनका पूरा नाम डोमाराजू गुकेश है, का जन्म 29 मई 2006 को चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ था। उनके पिता, डॉ. रजनीकांत, एक ईएनटी सर्जन हैं, और उनकी माँ, डॉ. पद्मा, एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं। और वो तेलगु परिवार से आते है उनकी प्रारंभिक शिक्षा वेलमाला विद्यालय, मेल अयनाम्बक्कम, चेन्नई में हुई। दिसंबर 2024 में, 18 वर्ष की आयु में, गुकेश ने विश्व शतरंज चैंपियनशिप में चीन के डिंग लिरेन को हराकर सबसे कम उम्र के विश्व शतरंज चैंपियन बनने का रिकॉर्ड बनाया। इससे पहले यह रिकॉर्ड रूस के महान शतरंज खिलाड़ी गैरी कास्पारोव के नाम था, जिन्होंने 22 वर्ष की आयु में यह खिताब जीता था।

चैस की तरफ कैसे हुआ झुकाव ?
लेकिन उनका चैस से कोई लेना देना नही था फिर भी डी गुकेश का झुकाव चैस की तरफ कैसे हुआ तो इसका श्रेय भी उनके पिता डॉ रजनीकांत को जाता है गुकेश ने पहले घर में चैस खेलना शुरू कर दिया था |और यहाँ से उन्होंने शतरंज के शुरूआती दाव – पेच सिखे क्योकि उनके पिता अपने काम में व्यस्त रहते थे तो उन्होंने डी गुकेश के लिये जब वो स्कूल के बाद घर आते तो उनके लिए चैस खेल कक्षाओ में भेजना शुरू कर दिया |
सूत्रों के अनुसार उनके इस खैल में झुकाव की वजह उनके ही स्कूल में पढने वाले ग्रैंडमास्टर प्रज्ञानंद को देखकर भी चैस खेलना शुरू किया उसके उनको देखकर डी गुकेश ने भी इतनी छोटी से उम्र में यह तय कर लिया था कि वो भी उनकी तरह चैस में विश्व चैंपियन बनेगे और उसके बाद डी गुकेश ने कक्षा 4 से ही शतरंज के खेल में अपना पूरा ध्यान केंद्रित किया उसकी वजह से उन्होंने लगभग स्कूल भी जाना छोड़ दिया था |
और इन सब में डी गुकेश के माता-पिता ने उसको पूरा समर्थन किया और उसके बाद उसके कोच ने उनमे अलग प्रतिभा दिखाई दी और उन्होंने डी गुकेश के माता-पिता को उनको विशेष रूप से अभ्यास दिलाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया |
उसके जल्द बाद ही डी गुकेश स्थानीय प्रतियोगिता जितने लगे और इन सब में इनके माता-पिता ने भी बहुत मेहनत की उनके पिता डी गुकेश के साथ प्रतियोगिताप में साथ जाते जिसकी वजह से वो काम पर भी कम जाते थे और इसकी वजह से उनके करियर पर भी असर होने लगा लेकिन इन सब के बावजूद भी वो डी गुकेश के साथ खड़े थे और उनकी
डी गुकेश की उपलब्धिया :-
साल 2015 में डी गुकेश ने चैस में नेशनल स्कूल चैंपियनशिप हासिल की और 2016 में कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप गोल्ड मैडल हासिल किया और स्पेन में अयोजीत अंडर 12 वर्ल्ड चैंपियनशिप भी हासिल की और 2019 में वो सबसे कम उम्र के भारतीय ग्रैंडमास्टर बन गये और पूरे विश्व वो तीसरे सबसे कम उम्र के ग्रैंड मास्टर थे और साल 2021 में उन्होंने यूरोपियन कल्ब और 2021 का नॉर्वेजियन मास्टर्स भी जीता और साल 2022 में स्पेन में आयोजित स्पेन का मोनारका ओपन में भी जीत दर्ज की और साल 2023 में नार्वे गेम्स का टाईटल भी अपने नाम कर चुके थे |
डी गुकेश :-कभी ना हार मानने की जिद
हालाँकि सफलताओ के साथ डी गुकेश को निराशा का भी सामना करना पड़ा लेकिन वो उन हारो को अपने लिये और मजबूती और इससे सीखने की तरह लेते थे और उनकी कभी ना हार मानने वाली जिद भी उनकी सफलता की बड़ी वजह है और गुकेश के युवा कोच ग्रैंड मास्टर विष्णु प्रसन्ना कहते है कि गुकेश का बचपन से ऐसा रहा है और जो भी वो तय करते है उसका पूरा ध्यान वो अपने एक लक्ष्य पर केंद्रित कर देते है और जब वो 11 साल की उम्र के थे तब वो अपनी उम्र के चैस के खिलाडी से ज्यादा वो अपने खेल के प्रति जिम्मेदार और गंभीर रहते थे |
और उन्होंने अपनी हार को सीख के तौर पे लिया इसका उदाहरण की बात करे तो जब वो विश्व चैंपियनशिप की प्रत्योगिता के पहले मुकाबले में वो हार गये और उनको एक और झटका तब लगा जब वो 11 की बढ़त लेने के बाद तुरंत हार गए इसको लेकर उनको पूछा गया तो उन्होंने बताया की में लड़ाई के लिये तैयार था और इस चैंपियनशिप में उन्होंने दो बार ड्रा लेने से मना दिया वो भी ऐसी स्थिति में जब लेरे यानि की जिनसे इनका मुकाबला होना था और उनके पास बढ़त थी सभी ने गुकेश को कम आका लेकिन उन्होंने सभी को साबित करके दिखाया की धैर्य और समझ से अपना गेम प्लेन किया था |