सद्गुरु एक भारतीय योगी, आध्यात्मिक गुरु और लेखक हैं। वे ईशा फाउंडेशन के संस्थापक हैं, जो योग और ध्यान से जुड़ी गतिविधियाँ संचालित करता है। उनकी शिक्षाएँ आधुनिक विज्ञान और आध्यात्मिकता के मेल से जुड़ी होती हैं, जिससे वे युवाओं और दुनिया भर के लोगों के बीच लोकप्रिय हैं।
सद्गुरु कौन हैं ?

सद्गुरु एक योगी और पब्लिक स्पीकर है और विश्वभर में योगा को प्रमोट करते है सद्गुरु जिनका पूरा नाम “जग्गी वासुदेव” है जिनका जन्म कर्नाटक के मैसूर शहर में 3 सितम्बर 1957 को हुआ था जग्गी वासुदेव के चार भाई-बहन थे और वो उन सब में से सबसे छोटे थे उनके पिता भारतीय रेल्वे के लिये काम करते थे और इसी कारण वो अलग-अलग जगह शिफ्ट होते रहते थे |
वो बचपन से उनकी सोच अलग थी इसी वजह से वो किसी भी चीज को देखते तो वो उसमे मोहित हो जाते थे वो हर चीज के बारे में गहन से सोचते थे की यह चीज है क्या इस वजह से उनके पिता को चिंता लगी रहती थी उनके बेटे को कोई मानसिक बीमारी तो नही है और वो शांत स्वभाव के थे जैसे – जैसे उनकी उम्र बढती गयी वैसे – वैसे उनके मन में सवाल बढ़ते गये, जब वो 10 साल के थे तब एक योगी ने उन्हें योगा के बारे में बताया और तब से उन्होंने योगा करना शुरू कर दिया था |
और जब वो 14 वर्ष के थे तब उन्होंने मैसूर के क्लाइंबिंग क्लब से जुड़े और उसी समय में उन्होंने आर्मी कर्नल कुमार के बारे सुना जो कई माउंटेन को क्लाइंबिंग किया करते थे और इसी वजह से वो मैसूर में काफी लोकप्रिय हुये थे और सद्गुरु उन्ही से प्रभावित होकर आर्मी ज्वाइन करने का फैसला लिया उन्होंने आर्मी की रिटेन परीक्षा दे दी लेकिन वो प्रैक्टिकल एग्जाम देने नही गये |
और वो वापस घर आये और उन्होंने सोचा की अगर उन्हें अपने मन में उठे सवालों का जवाब चाहिये तो उन्हें जगह-जगह घूमना पड़ेगा और उन्होंने पूरा साउथ इंडिया घूम लिया इसके लिये पहले वो साइकल से घूमने लगे बाद में उन्होंने मोटरसाइकल ले ली और वो उस पर घूमने लगे औ अगले 5 साल तक उन्होंने पूरा भारत घूम लिया और वो पूरे भारत भ्रमण में कही भी किसी भी गाँव में रूक जाते थे और वो हर तरह के लोगो से घूल-मिल जाते थे ये सब उनको अच्छा लगने लगा |
लेकिन उन्होंने सोचा की उन्हें और जानना है तो उन्हें और घूमना पड़ेगा लेकिन इसके लिये पैसो की जरुरत पड़ेगी तो वापस अपने होमटाउन आगये और वहा पर उन्होंने एक बिजनेस शुरू कर दिया और उस बिजेनस से उन्हें अच्छे पैसे मिल रहे थे लेकिन वो मन ही मन नाखुश थे क्योकि वो चाहते थे वो जल्दी से पैसा कमाकर वापस सफ़र पर निकल जाये लेकिन वो काफी व्यस्त होते गये और ऐसे करके 6 साल बीत गये |
लेकिन एक दिन जब मीटिंग के बीच में उन्हें थोडा वक्त मिला तो उन्होंने मैसूर के चामुंडी हिल्स पर जाने को सोचा और वहा वो एक बड़े पत्थर पर बैठ गये और वो मानते है वहा पर उन्हें ध्यान करते समय उन्हें एक गहरी आध्यात्मिक अनुभूति हुई, जिसे वे अपनी आत्मज्ञान की स्थिति मानते हैं। बाद में 1983 में उन्होंने अपनी पहली योगा क्लास शुरू की और बाद में धीरे-धीरे वो लोगो का योगा सिखाने लगे और फिर विश्वभर में लोगो को योगा सिखाना शुरू किया |
सद्गुरु :- ईशा फाउंडेशन
सद्गुरु वर्ष 1992 में ईशा फाउंडेशन की स्थापना की जिसका उद्देश्य लोगो में आध्यात्मिकता और योग को लेकर जागरूकता पैदा करना था ईशा फाउंडेशन कोयंबटूर, तमिलनाडु में स्थित ईशा योग केंद्र दुनियाभर के साधकों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ ध्यानलिंग, लिंग भैरवी मंदिर भी बना हुआ है और साल 2017 में ईशा फाउंडेशन ने आदियोगी शिव की 112 फीट ऊँची प्रतिमा स्थापित की है।
सद्गुरु :-किताबें
- Inner Engineering: A Yogi’s Guide to Joy
- Death: An Inside Story
- Karma: A Yogi’s Guide to Crafting Your Destiny
- Mystic’s Musings
सद्गुरु :- विवाद और आलोचना
- कुछ लोग साध्गुरु की शिक्षाओं को आधुनिक आध्यात्मिक मार्केटिंग मानते हैं।
- पर्यावरण संबंधी अभियानों में सरकारी सहयोग को लेकर भी आलोचना हुई है।
- हालाँकि, उनके विचार और शिक्षाएँ दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित कर रही हैं।
निष्कर्ष
साध्गुरु एक आध्यात्मिक व्यक्ति होने के साथ-साथ सामाजिक और पर्यावरणीय कार्यों में भी सक्रिय हैं। उनकी शिक्षाएँ आत्म-जागरूकता, ध्यान और प्रकृति से जुड़ने पर आधारित हैं।